बातों कें ज़ख्म बड़े गहरे होते हैं.....
क़त्ल भी हो जाते हैं,और....
खंजर भी नही दिखते...!!!
कोई कितनी भी करे कोशिशें हम जैसा बनने की।
"शेर" पैदा होते है, बनाये नही जाते।
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की।
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे।
क्यों की जीसकी जीतनी जरुरत थी उसने उतना ही
पहचाना मुझे।
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं....!!
एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी,
जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं,
और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं।...Narsingh
मैं भारत बरस का हरदम अमित सम्मान करता हूँ,
यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ,,
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,,,
तिरंगा हो कफ़न मेरा,
बस यही अरमान रखता हूँ...।
मैं मर जाऊँ तो सिर्फ मेरी इतनी पहचान लिख देना,
मेरे खून से मेरे माथे पर "जन्मस्थान" लिख देना,
कोई पूछे तुमसे स्वर्ग के बारे में तो,
एक कागज के टुकड़े में "हिदुस्तान" लिख देना,
ना दौलत पर गर्व करते है,
ना शोहरत पर गर्व करते है,
किया भगवान ने हिदुस्तान मै पैदा,
इसलिये अपनी किस्मत पर गर्व करते है.....।
सीधा बंन्दा हुँ, सीधे बंन्दे की तरह रहेने दो..अगर दादागीरी पे आ गऐ ना....तो वही पुराना अंदाज , सरपे ताज और हमारा राज ।!!
त्याग दी अपनी सारी ख्वाहिशें,
कुछ अलग करने के लिए अरे "राम" ने भी खोया था बहुत
कुछ "श्री राम "
बनने के लिए.
मोहब्बत तो हमने भी बहुत की,पर भुल गये थे की
# HEROIN कभी # VILLAIN की नही होती.