ये संगदिलों की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब;
यहाँ पलकों पर बिठाते हैं, नजरों से गिराने के लिए।
हाल तो पूछ लूँ तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी;
ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।
अजीब दस्तूर है, मोहब्बत का;
रूठ कोई जाता है, टूट कोई जाता है।
कुछ नहीँ था मेरे पास खोने को;
जब से मिले हो तुम डर गया हूँ मैँ |
बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने;
की इलज़ाम भले ही झूठे हो पर लगाये तो तुमने!
चलो माना तुम्हारी आदत है तडपाना;
मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो!
न मेरा नाम था, न दाम था बाजार-ए-मोहब्बत में;
तुमने भाव पूछकर अनमोल कर दिया!
I don't MIND if others don't like me.
after all, I'm not a Facebook status.
Convincing Urself That U Dont Like
Someone
Means U Actually Like That Person..!
A Heart With Trust Cries More
Than An Eye With Dust..!