बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी,
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी !
अपनी जिंदगी अजीब रंग में गुजरी है..
राज किया दिलों पे और तरसे मोहब्बत को..
ये जो हालात हैं एक रोज सुधर जायेंगे..
पर कई लोग मेरे दिल से उतर जायेंगे..
अजीब किस्सा है जिन्दगी का,
अजनबी हाल पूछ रहे हैं और अपनो को खबर तक नहीं..
एक धोखा खुद को देता हूँ मैं,
तेरे बगैर भी साँसे जो लेता हूँ मै !!
औकात क्या है तेरी,ए जिँदगी
चार दिन कि मुहोब्बत ,तुझे तबाह कर देती है...
चंद मासूम से पत्तों का लहू है दोस्तों,
जिसे हम महबूब के हाथों की हिना कहते है"" #
वो बात बात पे देते है हमें...परिंदों की मिसाल..,
साफ साफ लब्जो में क्यों नहीं कहेते कि मेरा आशियाना छोड़ दो...।”
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है,तीर की तरह...!
मगर मैं खामोश रहता हूँ,अपनी तकदीर की तरह....!!
जिंदगी में बेशक हर मौके का ज़रूर फायदा उठाओ,,
मगर किसी के हालात और मज़बूरी का नहीं