कल स्कूल में एक बच्चे से उसकी क्लास टीचर ने पूछा कि ....
गांव और शहर में क्या अन्तर है ....??
बहुत सुन्दर उत्तर दिया उसने ....
इतना ही अन्तर है कि गांव में ,
कुत्ते आवारा घूमते हैं और गौमाता पाली जाती है .....
और शहर में कुत्ता पाला जाता है और गौमाता आवारा घुमती हैं ... !!
चंद लाइनें बहुत ही खूबसूरत अगर आप तक पहुँच सकें....।
फजूल ही पत्थर रगङ कर आदमी ने चिंगारी की खोज की,अब तो आदमी आदमी से जलता है..!
मैने बहुत से ईन्सान देखे हैं,जिनके बदन पर लिबास नही होता।और बहुत से लिबास देखे हैं,जिनके अंदर ईन्सान नही होता।
कोई हालात नहीं समझता ,कोई जज़्बात नहीं समझता ,ये तो बस अपनी अपनी समझकी बात है...,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,तो कोई पूरी किताब नहीं समझता!!
"चंद फासला जरूर रखिए हर रिश्ते के दरमियान!
क्योंकि"नहीं भूलती दो चीज़ें चाहे जितना भुलाओ....!.....एक "घाव"और दूसरा "लगाव"...
जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है,
दरख्तों तुम्हारा इम्तहान बाकी है!
वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं,
उन्ही की आखों में अब तक ईमान बाकी है!
बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर,
किसी का मकान गिरवी है और किसी का लगान बाकी है!
सफ़र ज़िन्दगी का बहुत ही हसीन है;
सभी को किसी न किसी की तालाश है;
किसी के पास मंज़िल है तो राह नहीं;
और किसी के पास राह है तो मंज़िल नहीं।
साथ रहते यूँ ही वक़्त गुज़र जायेगा;
दूर होने के बाद कौन किसे याद आयेगा;
जी लो ये पल जब हम साथ हैं;
कल क्या पता वक़्त कहाँ ले जायेगा।
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था;
खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था;
कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में;
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।
Rahmat Khuda Ki Tere Ghar Ki Choukat Par Barasti Nazar Aay,
Har Lamha Teri Tasveer Savarti Nazar Aay.
Bin Maange Tjhe Mile Wo Jo Tu Caahe,
Kar Kuch Aesa Kaam Ki Dua Khud Tere Haatho Ko Tarasti Paay....
#A_k
इंसान मायूस इसलिए होता है क्योंकि वह परमात्मा को राज़ी करने की बजाये लोगों को राज़ी करने में लगा रहता है।
वह भूल जाता है कि रब राज़ी तो सब राज़ी।
ज़िन्दगी ऐसे जियो की कोई हँसे तो हमारी वजह से
हँसे-हम पर नहीं,
और
कोई रोए तो
हमारे लिए रोये-
हमारी वजह से नहीं
भीगने का अगर शौक हो तो आकर वाहेगुरू के चरणों में बैठ जाना,
ये बादल तो कभी कभी बरसते हैं, मगर मेरे वाहेगुरू की कृपा हर पल बरसती है।