ख्वाबों और ख़्यालों का चमन सारा जल गया,
ज़िंदगी का नशा मेरा धुआ बन कर उड़ गया…
जाने कैसे जी रहे है, क्या तलाश रहे है हम,
आँसू पलकों पर मेरी ख़ुशियों से उलझ गया…
सौ सदियों के जैसे लंबी लगती है ये ग़म की रात,
कतरा कतरा मेरी ज़िंदगी का इस से आकर जुड़ गया…
मौत दस्तक दे मुझे तू, अब अपनी पनाह दे दे,
ख़तम कर ये सिलसिला, अब दर्द हद से बढ़ गया…
Raste khud hi tabahi ke nikale hamne,
Kar diya dil kissi patthar ke hawale hamne,
Hamko malum hai kya shai hai mohabbat logon,
Apne ghar phook ke dekhe hain ujale hamne.
Khwaab tha usse khush rakhne ka,
Jab aankh khuli to khwaab tuta,
Shyad mera chehra uska khwaab nahi hai,
Par khush hun kyunki wo khush hai.
Bhoolneki tujhe najane hum kitne vade karte hain,
Kaise bhoolu tujhe,yeh sochker tume yaad karte hain,
Jab bhi hota hai zikr zamane mein pyar aur wafaa ki,
To tumhe bewafa ke bahane yaad karte hain
Raste par mat baitho hawa tang karegi,
Gujare hue lamhon ki saja tang karegi,
Kisi ko mat lao dil ke itne kareeb,
Uske jane par uski har ek ada tang karegi
Kitni Khushi milti hai tujhko, dil mera todhkar
Lekin ye dil bhi to hai, teri hi amanat
Dekhein kab tak tu khush rahta hai
Apni hi cheez ko todhkar
ख्वाबों और ख़्यालों का चमन सारा जल गया,
ज़िंदगी का नशा मेरा धुआ बन कर उड़ गया...
जाने कैसे जी रहे है, क्या तलाश रहे है हम,
आँसू पलकों पर मेरी ख़ुशियों से उलझ गया...
सौ सदियों के जैसे लंबी लगती है ये ग़म की रात,
कतरा कतरा मेरी ज़िंदगी का इस से आकर जुड़ गया...
मौत दस्तक दे मुझे तू, अब अपनी पनाह दे दे,
ख़तम कर ये सिलसिला, अब दर्द हद से बढ़ गया...
जिक्र यह आज पीरों में है
कुछ तो लिखा लकीरों है
यूँ ही नही है दिल घायल हुआ
बात तो कुछ नज़र क तीरों में है
राह'ऐ सुकून अब खोजे कहाँ
येही फिक्र अब फ़कीरों में है
तेरा हर लफ्ज़ है मुकमल ग़ज़ल
तुझ सी बात न कई मीरों में है
उन के मुस्कुराने की सी अदा
यकीनन न सौ हीरों में है
माह अब खुशी से मर जाऊंगा मैं
मेरा नाम उनके तक्सीरों में है
जब मिटा के शहर गया होगा
एक लम्हा ठहर गया होगा
है, वो हैवान ये माना लेकिन
उसकी जानिब भी डर गया होगा
तेरे कुचे से खाली हाथ लिए
वो मुसाफिर किधर गया होगा
ज़रा सी छाँव को वो जलता बदन
शाम होते ही घर गया होगा
नयी कलियाँ जो खिल रही फिर से
ज़ख़्म ए दिल कोई भर गया होगा
मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी
मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा
आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है
तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा
मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी
तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा
सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा