सिखा दी बेरुखी भी ज़ालिम ज़माने ने
तुम्हें....
कि तुम जो सीख लेते हो हम पर आज़माते
हो.....
#A_k
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं;
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं....
#A_k
Janaza mera uth raha tha,
Phir bhi takleef thi unko aane me,
Bewafa ghar me baithe puch rahe the,
Aur kitni der hai le jane me.
डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारो.
और फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमे ही उतारा गया...!
न जीतने की जिद ही थी, न हारने का सवाल था
मुझे जिंदगी में हर कदम पर मौत का खयाल था
किसको कहूं और क्या कहूं, फिर सोचता हूं क्यूं कहूं
यहां दोस्त हैं कई मगर, हमराज का अकाल था
खुलते गए मेरे सामने दरवाजों में लगे आईऩे
देखा कि उस मकान में हर अक्स बदहाल था
आंखों में जिनके बस गई दुनिया भर की रौनकें
वो शख्स बेवफाई का एक जिंदा मिसाल था
~~~ Hai Nasib Ki Baat Dukh Kisi Ko Nahi,
~~~ Ye Duniya Badi Bewafa Hai Ye Kisi Ki Nahi,
~~~ Roshniyon Par Guroor Kabhi Na Karna,
~~~ Chirag Sab Ke Bujhenge Ye Hawa Kisi Ki Nahi. ~~~
Kabhi khamosh kar ke rulaya
To kabhi hasa kar rulaya,
Jab bhi tujhe dil lagaya a ishq tune dil se mujhe rulaya..
Mere Baad Kisko Staoge ..
Mujhe Kis Trh Se Mitaoge..
Mujhko Toh Barbad Kia H Or Kise Barbad Kroge..
Ro Ro K Faryad Kroge..
Kaash hum bhi hote shayari ke badshah,
Tujhe itnaa rulate
Teri bewafayi ke
sheir suna suna kar…
देखें कि जमाने में क्या गुल खिलाते हैं हम
अब तक तो दर्द को ही उगाते रहे हैं हम
कश्ती के मरासिम से दरिया में आ गए
वरना किनारों से ही दिल लगाते रहे हैं हम
मुहब्बत की आग में जो जलके खाक हो चुके
उनमें भी कुछ धुएं को जगाते रहे हैं हम
नहीं जानता बेवफाओं से क्या रिश्ता हमारा
अब तक तो उनसे फासले बनाते रहे हैं हम