एक बेटी ने जिद पकड़ ली "पापा मुझे
साइकिल चाहिये !
..
..
पापा ने कहा अगले महीने दिवाली
पर जरुर साईकल
लाउंगा ! प्रॉमिस !
.
.
एक महीने बाद... पापा , मुझे
साइकिल चाहिये , आपने प्रॉमिस
किया था ... !
.
.
वह चुप रहा ...
शाम को दफ्तर से लौटा बेटी
तितली की तरह खुश हुई व़ाह ! थॅंक्स
पापा , मेरी साइकिल के लिये
अगले दिन.... पापा ! आपकी उंगली
की सोने की अंगूठी कहाँ गई .?
.
.
बेटा ! सच बोलूँगा ... कल ही बेच दी
तुम्हारी साइकिल के लिये .....!
.
.
बेटी रोते हुए , पापा, ! पैसों की
इतनी दिक्कत थी तो मत लाते .....
.
.
नहीं खरीदता तो मेरी प्रॉमिस
टूटती
तुम्हे फिर मेरे किसी वादे पे
विश्वास नहीं होता .
तुम यही समझती कि "प्रॉमिस
तोड़ने के लिये
किये जाते है !"
.
.
मेरी अंगूठी दूसरी आ जायेगी
मगर "टूटा हुवा विश्वास
छूटा हुवा बचपन दोबारा नहीं
लौटेंगे !"
जाओ !
साइकल चलाओ !....
।
अपने से ज्यादा अपनी बेटी की
ख़ुशी चाहने वाले पिता के लिये।
••" MY-VILLAGE "••
बडा भोला, बडा सादा, बडा सच्चा है,
तेरे शहर से तो मेरा गाँव अच्छा है,,
••
यहाँ मै मेरे बाप के नाम से जाना जाता हुँ,
और वहाँ मकान नम्बर से पहचाना जाता हुँ,,
••
यहाँ फटे-कपडो मेँ तन ताँका जाता हुँ,
वहाँ खुले बदन पर टैटु छापा जाता है,,
••
वहाँ कोठी है, बँगले है, और कार है,
यहाँ परिवार है और संस्कार है,,
••
वहाँ चीखोँ की आवाजे दीवारोँ से टकराती है,
यहाँ दुसरोँ की सिसकीयाँ भी सुनी जाती है,,
••
वहाँ शोर-शराबे मेँ कहीँ खो जाता हुँ,
यहाँ टुटी खटीयाँ पर भी आराम से सो जाता हुँ,,
••
यहाँ रात मेँ भी बाहर घुमने की आदत है,
मत समझे कम हमेँ की हम गाँव से आये है,,
••
तेरे शहर के बाजार मेरे गाँव ने ही सजाये है,
वहाँ इज्जत मेँ सर-सुरज की तरह चलते है,,
••
चल आज हम उसी गाँव मे चलते है,
उसी गाँव मेँ चलते है..!!
!" स्वभाव" क्या है "!
एक बार एक भला आदमी नदी किनारे
बैठा था।
तभी उसने देखा एक बिच्छू पानी में गिर
गया है।
भले आदमी ने जल्दी से बिच्छू को हाथ में
उठा लिया।
•
बिच्छू ने उस भले आदमी को डंक मार
दिया।
बेचारे भले आदमी का हाथ काँपा और बिच्छू पानी में
गिर गया।
भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के
लिए दुबारा उठा लिया।
बिच्छू ने दुबारा उस भले आदमी को डंक
मार दिया।
भले आदमी का हाथ दुबारा काँपा और बिच्छू
पानी में गिर
गया।
•
भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के
लिए एक बार फिर
उठा लिया।
वहाँ एक लड़का उस
आदमी का बार-बार बिच्छू
को पानी से निकालना और बार-बार
बिच्छू का डंक मारना देख रहा था।
•
उसने आदमी से कहा, "आपको यह बिच्छू
बार-बार डंक मार रहा है
फिर भी आप उसे डूबने से
क्यों बचाना चाहते हैं?"
•
भले आदमी ने कहा, "बात यह है
बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक
मारना और मेरा स्वभाव है बचाना।
•
जब बिच्छू एक कीड़ा होते हुए भी अपना
स्वभाव नहीं छोड़ता तो मैं मनुष्य होकर
अपना स्वभाव क्यों छोड़ूँ?"
•
मनुष्य को कभी भी अपना अच्छा स्वभाव
नहीं भूलना चाहिए।
•••" इम्तीहान "•••
लहरोँ से ङरकर नौका पार नही होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती!
••
नन्ही चिँटी जब दाना लेकर चलती है,
चढती दिवारोँ पर सो बार फिसलती है,
मन का विश्वास रगो मेँ साहस भरता है,
चढकर गिरना, गिरकर चढना न अखरता है,
••
मेहनत उसकी बेकार हर बार नही होती!
कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती!
••
ङुबकियाँ सिँधु मेँ गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लोटकर आता है,
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी मेँ,
बढता हुआ विश्वास इसी हैरानी मेँ,
••
मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नही होती,
कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती!
••
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नैन -चैन त्यागो तुम,
संघर्षो का मैँदान छोङ मत भागो तुम,
••
कुछ कर्म किये बीना ही जय - जयकार नही होती,
कोशिश करने वालोँ की कभी हार नही होती..!!
लड़का लड़की एक पार्क में आपस
मे बात कर रहे
थे....
लड़का:- अपने प्रेम का भविष्य
क्या है ?
लड़की:- शादी !
लड़का:- तुम्हारे माँ बाप
नहीं मानेगे,
हम
भागकर
शादी कर लेते है.
लड़की गुस्से से:- आज तो बोल दिया,
भगवान
के लिए
आगे से ऐसा कभी मत बोलना,
शादी न हो सके
तो न
हो,
पर मै कन्या भ्रूण हत्या के पाप
कि भागीदार
नहीं हो सकती.
लड़का:- हमारी शादी में भ्रूण
हत्या कहा से
आ गयी ?
लड़की:- हर
पिता अपनी बेटी को एक बेटे से
ज्यादा प्यार करता है,
लेकिन
जब कोई लड़की घर से भाग कर और
समाज के खिलाफ
शादी कर लेती है,
तो उस एक लडकी के कारण न जाने
कितनी ही मासूम
बच्चियों कि हत्या कर
दी जाती है.
"किसी भी माँ बाप
को बेटीया नहीं चुभती है,
बड़ी होकर बेटी कही कलंक
का कारण न
बन जाये, ये बात चुभती है."
अगर सभी लड़के लड़की ऐसी ही सोच
रखे
कि माता पिता कि आँख कि शर्म
हमारे अंदर
जिन्दा है,
तो ही हम
अपनी सस्कृति को कायम रख पायेंगे.
गाँव के कुएँ से तीन महिलाऐ पानी भर रही थी एक महिला का पुत्र वहाँ से निकला तो उसे देख कर वह महिला बोली:-
देखो वह मेरा पुत्र है यहाँ का सबसे बड़ा पहलवान है।
•••
फिर दूसरी महिला का पुत्र वहाँ से गुजरा जिसे देख कर वो महिला बोली:-
देखो ये मेरा पुत्र बड़ा विद्वान है।
•••
तभी तीसरी महिला का पुत्र वहा से जा रहा था,
माँ को देख कर माँ के पास आया,
पानी का घड़ा उठा लिया और बोला,
चलो माँ घर चले।
•••
उस माँ की ख़ुशी भरी आँखों के सामने उन दोनो महिलाओ की नज़रे झुक गयी,
वो समझ चुकी थी कि सुपुत्र कौन है।
•••
Moral:- गुण बताये नही जाते अपने आप दिख जाते हैं..!
मकान चाहे कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे...
चारपाई पर बैठते थे
पास पास रहते थे...
सोफे और डबल बेड आ गए
दूरियां हमारी बढा गए...
छतों पर अब न सोते हैं
बात बतंगड अब न होते हैं...
आंगन में वृक्ष थे
सांझे सुख दुख थे...
दरवाजा खुला रहता था
राही भी आ बैठता था...
कौवे भी कांवते थे
मेहमान आते जाते थे...
इक साइकिल ही पास था
फिर भी मेल जोल था...
रिश्ते निभाते थे
रूठते मनाते थे...
पैसा चाहे कम था
माथे पे ना गम था...
मकान चाहे कच्चे थे
रिश्ते सारे सच्चे थे...
अब शायद कुछ पा लिया है,
पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया...
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी,
आम हो जाती है।
एक सवेरा था,
जब हँस कर उठते थे हम...
और
आज कई बार,
बिना मुस्कुराये ही
शाम हो जाती है!!
कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते...
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते...
[•••" मेरी माँ "•••]
जिन्दगी मेँ कुछ पाया और कुछ खोया,
लेकिन तुझे खोना नही चाहता माँ,
•
जिन्दगी ने कभी हँसाया और कभी रुलाया,
लेकिन तुझे रुलाना नही चाहता माँ,
•
याद आती है बहुत मेरे बचपन की वो लोरी,
इसीलिये तेरी गोद के अलावा कही ओर सोना नही चाहता माँ,
•
कितना ङाटा था तुने बचपन मेँ
अब क्यूँ नही ङाँटती तू मुझे माँ ?
•
कैसे जिन्दा रह पाऊगाँ मे तेरे बगैर,
कभी फुरसत मिले तुझे तो यह बता माँ,
•
जिन्दगी तुने तो मेरी रोशन कर दी,
लेकिन खुद किस अँधेरे मेँ खो गयी तु माँ,
•
कभी तो खिला मुझे अपने हाथ कि रोटी,
आज कल भुख बहुत लगती है मुझे माँ,
•
कहाँ हो तुम आकर लगाऔ गले से,
इस बेदास 'धान्धल' को,
ना जाने किस काश मेँ निकल जाये जाये मेरी साँसे माँ...!!
•••" NICE STORY "•••
एक हसीन लडकी एक राजा के दरबार मेँ डाँस कर रही थी,
(राजा बदसुरत था)।
•
निवेदन के बाद,
लडकी ने राजा से एक सवाल की इजाजत तलब
की,
•
राजा ने कहा कि पुछौ!
लडकी ने कहा कि-
जब खुदा हुस्न तकिशम कर रहा था,
तो आप कहाँ थे?
•
राजा ने गुस्सा नही किया,
बल्कि मुस्कराते हुए कहा-
•
जब तुम हुस्न की लाईन मेँ खडी हुस्न ले
रही थी,
तो मै किस्मत की लाईन मेँ खडा किस्मत ले
रहा था
"और"
आज तुझ जैसी हुस्नवालीयाँ मेरी गुलाम है,
•
इसलिए शायर ने कहा है,-
"हुस्न" ना मांग "नसीब" मांग ऐ दोस्त "हुस्न"
वाले अक्सर "नसीब" वालोँ के गुलाम हुआँ करते
है...!
राम की सेना ने जीती थी रावण की लंका
धोनी की सेना ने फिर से जीती है श्रीलंका
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कोई भी ना टिक पाया देश की जीत के आड़े
मुंबई के मैदान में जब भारत के सिंह दहाड़े
→
बज गए ढोल, बज गए बाजे और बजे नगाड़े
दुनिया के नक़्शे पर हमने जीत के झंडे गाड़े
→
देश प्रेम के ऐसे दृश्य कहाँ देखने मिलते हैं
होठों पे मुस्कान और आँखों से अश्रु छलकते हैं
→
चहुँ दिशाओं से बस जयघोष के बोल निकलते हैं
धोनी के वीर धुरंधर जब विजय के पथ पे चलते हैं
→
देश प्रेम की इस धारा को कभी ना बुझने देंगे
चाहे हो कोई भी जंग तिरंगा कभी ना झुकने देंगे
→
विश्व विजय के बढते कदम कभी ना रुकने देंगे
अगला विश्व कप भी अब भारत को लाकर देंगे..!