लड़का लड़की एक पार्क में आपस
मे बात कर रहे
थे....
लड़का:- अपने प्रेम का भविष्य
क्या है ?
लड़की:- शादी !
लड़का:- तुम्हारे माँ बाप
नहीं मानेगे,
हम
भागकर
शादी कर लेते है.
लड़की गुस्से से:- आज तो बोल दिया,
भगवान
के लिए
आगे से ऐसा कभी मत बोलना,
शादी न हो सके
तो न
हो,
पर मै कन्या भ्रूण हत्या के पाप
कि भागीदार
नहीं हो सकती.
लड़का:- हमारी शादी में भ्रूण
हत्या कहा से
आ गयी ?
लड़की:- हर
पिता अपनी बेटी को एक बेटे से
ज्यादा प्यार करता है,
लेकिन
जब कोई लड़की घर से भाग कर और
समाज के खिलाफ
शादी कर लेती है,
तो उस एक लडकी के कारण न जाने
कितनी ही मासूम
बच्चियों कि हत्या कर
दी जाती है.
"किसी भी माँ बाप
को बेटीया नहीं चुभती है,
बड़ी होकर बेटी कही कलंक
का कारण न
बन जाये, ये बात चुभती है."
अगर सभी लड़के लड़की ऐसी ही सोच
रखे
कि माता पिता कि आँख कि शर्म
हमारे अंदर
जिन्दा है,
तो ही हम
अपनी सस्कृति को कायम रख पायेंगे.
एक मनचला लङका रोज
एक गली से गुजरता
था....!
वो हर रोज एक लङकी से
कहता था,
लङकी नकाब मे होती थी,
लडका कहता है,
परदेँनशी थोङा परदा उठा मेरी मोहब्बत कुबूल कर जलवा दिखा...!
कहता और फिर चला
जाता...!
दुसरे दिन भी लडँके ने
यही कहाँ...!
हे परदेँनशी थोङा परदा उठा मेरी मोहब्बत कुबूल कर जलवा दिखा...!
तिसरे..दिन भी लङके ने यही कहा हे परदेँनशी थोङा
परदा उठा मेरी
मोहब्बत कुबूल
कर जलवा
दिखा...!
अगर आज तुने परदा नही उठाया तो मे खुद खुशी
कर लुगाँ.....!
वो लङकि परदा नही उठाती..!
लङका फिर चला जाता है.,
चौथे दिन लङका नही आता,.. तो लङकि बहुत दुःखी होती है...!
लङकी आस पास पुछती है काका वो लङका कहा है
जो मुझे रोज तँग करता
था...!
लोगो ने कहा बेटी उसने तो तुम्हारी याद मे
खुदखुशी कर
ली...!
वो उसकी कब्र है,..!
लङकि उसके कब्र पर
जाती है..!
और कहती है...!
ऐ मेरे गुमनाम आशिक लो,
मैने अपने रुख से
परदा उठा
लिया...!
जी भर के मेरा दीदार कर ?
तो उस कब्र मे से आवाज आती है !
ऐ मेरे खुदा ये तेरी कैसा इँसाफ है..!
आज मे परदेँ मे हुँ..
वो बेनकाब आया है....!
••¶" LOVE STORY "¶••
लङका:- क्या मैँ तुम्हेँ प्यारा लगता हुँ ?
लङकी:- नहीँ
•
लङका:- क्या तुम मेरे साथ रहना चाहोगी ?
लङकी:- नहीँ
•
लङका:- अगर मैँ मर जाऊँ तो तुम रोहोगी ?
लङकी:- नहीँ
•
लङका:- बहुत उदास हो गया,
उसे बहुत दुख: हुआ
और रोने
लगा..!
•
तब लङकी ने उसे अपने करीब किया और कहा:- तुम प्यारे नही बहुत
खुबसुरत हो..!
•
मै तुम्हारे साथ रहना बल्कि जीना चाहती हुँ..!
अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मै रोहुगी नही मर
जाऊगी..!
Bcz - I Can't Live Without It...!!
गाँव के कुएँ से तीन महिलाऐ पानी भर रही थी एक महिला का पुत्र वहाँ से निकला तो उसे देख कर वह महिला बोली:-
देखो वह मेरा पुत्र है यहाँ का सबसे बड़ा पहलवान है।
•••
फिर दूसरी महिला का पुत्र वहाँ से गुजरा जिसे देख कर वो महिला बोली:-
देखो ये मेरा पुत्र बड़ा विद्वान है।
•••
तभी तीसरी महिला का पुत्र वहा से जा रहा था,
माँ को देख कर माँ के पास आया,
पानी का घड़ा उठा लिया और बोला,
चलो माँ घर चले।
•••
उस माँ की ख़ुशी भरी आँखों के सामने उन दोनो महिलाओ की नज़रे झुक गयी,
वो समझ चुकी थी कि सुपुत्र कौन है।
•••
Moral:- गुण बताये नही जाते अपने आप दिख जाते हैं..!
एक दोस्त ने नया मोबाइल खरीदा!
राहुल:- देख, राकेश मैने नया मोबाइल खरीदा
राकेश:- वाह.. क्या बात है, बंदा तेजी मेँ है!
आज पार्टी तो देनी पडेगी तुझे..!
अगर पार्टी देगा तो मैँ भी तुझे एक Gift दुँगा!
राहुल-: OK चल ठीक है आज रात को "होटल" मेँ पार्टी मेरी तरफ से..!
{रात को दोनो "होटल" मेँ मिलते है}
राकेश:- अरे यार तु इतना गरीब है, एक-एक रुपया इकठ्ठा करके मोबाइल खरीदा और अब पार्टी का इंतजाम कैसे किया..?
राहुल:- पार्टी के लिए मोबाइल बेच दिया.!
तेरे लिए तो जान भी दे दु तु कहे तो.!
राकेश:- मुझे पता था तु साला ऐसा ही कुछ करेगा...!
इसलिए तुने जिस दुकान पर मोबाइल बेचा मैने वही से वापस खरीद कर लाया हुँ...!
ले यह मेरी तरफ से"GIFT"
MORAL:-"जिँदगी मेँ दोस्त नही बल्कि दोस्त मेँ जिँदगी होनी चाहिए"
I Love You My All Frends
By- Dhandhal
लड़कियों से क्या दोस्ती करना
जो पल भर में छोड़ जाती है
दोस्ती करनी है तो लड़को से करो
जो मरने के बाद भी कंधे पे ले जाते है¡
→→"Gajab Faimly"→→
एक परिवार मेँ4 बहनें थी..!
एक का नाम था टूटेली,
दूसरी का नाम था फटेली,
तीसरी का नाम था सड़ेली,
चौथी का नाम था मरेली..!
→→
एक दिन उनके घर पर गेस्ट आए..,
मम्मी ने पूछा:- आप ऊपर
कुर्सी पर बैठेंगे या नीचे चटाई पर..?
→→
गेस्ट:- कुर्सी पर
मम्मी:- टूटेली!!
कुर्सी लेकर आओ....?
गेस्ट:- नहीं नहीं ठीक है..!
हम चटाई पर ही बैठ जाएँगे.!
→→
मम्मी:- फटेली!!
चटाई लेकर आओ...?
गेस्ट:- रहने दीजिए हम ज़मीन पर ही बैठ जाएँगे...!
{गेस्ट ज़मीन पर बैठ गये..}
→→
लड़की:- आप चाय पीएँगे या दूध?
गेस्ट: चाय
मम्मी:- सड़ेली!!
चाय लेकर आओ...?
गेस्ट:- नहीं, नहीं, हम दूध ही पी लेंगे...!
→→
मम्मी:- मरेली!!
गाय का दूध लेके आओ..?
{गेस्ट कन्फ्यूज़ हो गया}
और घर के बाहर भागा..!!!
मकान चाहे कच्चे थे
लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे...
चारपाई पर बैठते थे
पास पास रहते थे...
सोफे और डबल बेड आ गए
दूरियां हमारी बढा गए...
छतों पर अब न सोते हैं
बात बतंगड अब न होते हैं...
आंगन में वृक्ष थे
सांझे सुख दुख थे...
दरवाजा खुला रहता था
राही भी आ बैठता था...
कौवे भी कांवते थे
मेहमान आते जाते थे...
इक साइकिल ही पास था
फिर भी मेल जोल था...
रिश्ते निभाते थे
रूठते मनाते थे...
पैसा चाहे कम था
माथे पे ना गम था...
मकान चाहे कच्चे थे
रिश्ते सारे सच्चे थे...
अब शायद कुछ पा लिया है,
पर लगता है कि बहुत कुछ गंवा दिया...
जीवन की भाग-दौड़ में -
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी,
आम हो जाती है।
एक सवेरा था,
जब हँस कर उठते थे हम...
और
आज कई बार,
बिना मुस्कुराये ही
शाम हो जाती है!!
कितने दूर निकल गए,
रिश्तो को निभाते निभाते...
खुद को खो दिया हमने,
अपनों को पाते पाते...
[•Touching - Story•]
एक लङकी एक लङके से बहुत प्यार करती
थी !
•
लङकी ने लङके को शादी
के लिये Propose
किया !
•
लङके ने लङकी से कहा
कि 3 दिन मेरे बगैर
रह लो !
•
बीना बात किये..
बिना देखे..
तो मै तुमसे शादी कर
लुगा,.!
•
लङकी मान जाती है ?
3 दिन बाद जब लङकी
आती है,
तो लङके की death हो
जाती है !
•
लङका लङकी के लिये 1 लेटर छोङ के
जाता है !
•
की जब 3 दिन मेरे बगैर
रह सकती हो,
तो पुरी जिन्दगी भी रह
लोगी,
•
मगर मै एक सैकेण्ड भी तुम्हारे बिना नही रह
सकता..!
[•••" मेरी माँ "•••]
जिन्दगी मेँ कुछ पाया और कुछ खोया,
लेकिन तुझे खोना नही चाहता माँ,
•
जिन्दगी ने कभी हँसाया और कभी रुलाया,
लेकिन तुझे रुलाना नही चाहता माँ,
•
याद आती है बहुत मेरे बचपन की वो लोरी,
इसीलिये तेरी गोद के अलावा कही ओर सोना नही चाहता माँ,
•
कितना ङाटा था तुने बचपन मेँ
अब क्यूँ नही ङाँटती तू मुझे माँ ?
•
कैसे जिन्दा रह पाऊगाँ मे तेरे बगैर,
कभी फुरसत मिले तुझे तो यह बता माँ,
•
जिन्दगी तुने तो मेरी रोशन कर दी,
लेकिन खुद किस अँधेरे मेँ खो गयी तु माँ,
•
कभी तो खिला मुझे अपने हाथ कि रोटी,
आज कल भुख बहुत लगती है मुझे माँ,
•
कहाँ हो तुम आकर लगाऔ गले से,
इस बेदास 'धान्धल' को,
ना जाने किस काश मेँ निकल जाये जाये मेरी साँसे माँ...!!
••••ஜ'' शराब ''ஜ••••
दुरियाँ आसानी से मिटाती है ' शराब '
मजबुरियाँ को नशे मेँ नचाती है ' शराब '
•
आसुँऔँ को मिटा दे तु अपने हर एक जाम मेँ,
फिर देख कैसे यादोँ को और करीब लाती है ' शराब '
•
थक चुके है जो ईस दुनिया के सितमोँ से,
उनहेँ दो पल की राहत दिलाती है ' शराब '
•
पंख लगा कर आसमान मेँ उड जाते है,
जो पंछी दो घुट मेँ उनहेँ बाँहोँ मेँ ला सकती है ' शराब '
•
जिस का हाथ सारी दुनिया छोड देती है,
उनके हाथोँ मेँ अकसर पायी जाती है ' शराब '
•
कभी भी अपने गमोँ को भुलना हो तो कह देना,
कितने भी बडे गम मेँ किसी को भी हँसाती है ' शराब '
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