मुस्कुराते पलको पे,
सनम चले आते हैं,
आप क्या जानो,
कहाँ से हमारे गम आते हैं,
आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं,
जहाँ किसी ने कहा था,
कि ठहरो हम अभी आते हैं...
आंख जब भी बंद किया करते हैं..
सामने आप हुआ करते हैं..
आप जैसा ही मुझे लगता है..
ख्वाब मे जिससे मिला करते हैं..
तू अगर छोडके जाता है तो क्या..
हादसे रोज़ हुआ करते हैं..
नाम उनका ना, कोई उनका पता..
लोग जो दिलमे रहा करते हैं..
हमने “राही” का चलन सीखा है..
हम अकेले ही चला करते हैं..
तुम ज़िदगी ना सही
दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम हसी ना सही
मुसकान बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम हकीकत ना सही
खयाल बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम नज़र ना सही
याद बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम दिल ना सही
धड़कन बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम गज़ल ना सही
सायरी बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम खुशिया ना सही
गम बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम पास ना सही
एहसस बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम कल ना सही
आज बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम ज़िदगी ना सही
दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ...
इस अजनबी दुनिया में,
अकेला एक ख्वाब हूँ,
सवालो से खफा,
छोटा सा एक जवाब हूँ,
जो न समझ सके,
उनके लिए '' कौन'',
जो समझ चुके,
उनके लिए एक खुली किताब हूँ
मोहब्बत क्या है ये अब तक मै जान ना पाया !
कही दीवानगी कभी पागलपन है बतलाया !!
कोई कहता मोहब्बत नाम हर दम साँथ रहने का !
जो बाँटे हर खुशी मिलके हर गम साँथ सहने का !!
चले हर राह तेरे साँथ जैसे हो तेरा सायाँ !
मोहब्बत क्या लैला और मजनू की कहानी मे !
या मुमताज की यादों भरी इस निशानी मे !!
के है जो हीर और रांझे के किस्सों मे पाया !
मोहब्बत नाम अपने प्यार पर सब कुछ लुटाने का !
ना हो अफ़सोस खातिर यार के सब कुछ गवाने का !!
रहे वो दूर जितना और मन के पास ही आया !
ये वो अहसास जो रिश्तों मे बंध कर रह नही सकता !
करे महसूस ना कोई ख़ुद है क्या कह नही सकता !!
समझ आया न बिन जाने ज़माने भर ने समझाया !
कोई आँसू बहाता है, कोई खुशियाँ मनाता है
ये सारा खेल उसका है, वही सब को नचाता है।
बहुत से ख़्वाब लेकर के, वो आया इस शहर में था
मगर दो जून की रोटी, बमुश्किल ही जुटाता है।
घड़ी संकट की हो या फिर कोई मुश्किल बला भी हो
ये मन भी खूब है, रह रह के, उम्मीदें बँधाता है।
मेरी दुनिया में है कुछ इस तरह से उसका आना भी
घटा सावन की या खुशबू का झोंका जैसे आता है।
बहे कोई हवा पर उसने जो सीखा बुज़ुर्गों से
उन्हीं रस्मों रिवाजों, को अभी तक वो निभाता है।
किसी को ताज मिलता है, किसी को मौत मिलती है
ये देखें, प्यार में, मेरा मुकद्दर क्या दिखाता है।.
चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया
जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया
सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया
आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया
आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया
गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी
यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया
अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर
यूँ मुझसे `’ रूठ के जाने का शुक्रिया.
यादों ने आज फिर मेरा दामन भिगो दिया
दिल का कुसूर था मगर आँखों ने रो दिया
मुझको नसीब था कभी सोहबत का सिलसिला
लेकिन मेरा नसीब कि उसको भी खो दिया
उनकी निगाह की कभी बारिश जो हो गई
मन में जमी जो मैल थी उसको भी धो दिया
गुल की तलाश में कभी गुलशन में जब गया
खुशबू ने मेरे पाँव में काँटा चुभो दिया
सोचा कि नाव है तो फिर मँझधार कुछ नहीं
लेकिन समय की मार ने मुझको डुबो दिया
दोस्तों वफ़ा के नाम पर अरमाँ जो लुट गए
मुझको सुकून है मगर लोगों ने रो दिया.
Daag ansuon se dhoye hain,
Jab bhi tanha huye hain roye hain,
Dil mein kyonkar na uge yaad teri,
Dil mein tere hi khawab boye hain
Pyar mein marne jeene ki kasme khati
thi woh
Mere saath hi apna saara waqt bitati
thi woh
jane kya khata hui thi mujhse mere
dosto
na jane kyo aaj raah chalte mujhse
muh chupati hai woh…