जो भी दुनिया में मुहब्बत पे जाँनिसार करे
ऐसे दीवाने से आखिर क्यूँ कोई प्यार करे
रेत प्यासा सा तड़पता है हर साहिल पे
कितनी सदियों से वो लहरों का इंतजार करे
बाँटते रहते हैं वफा वो कई किश्तों में
बेवफाई का यहाँ जो भी कारोबार करे
चाहता हूँ, तेरे दामन का किनारा तो मिले
दिल भी आख़िर ये फरियाद कितनी बार करे
सीने की गहराइयों में मुहब्बत जिंदा दफन है
उसपे बिछा मेरे जिस्म का सादा कफन है
ये मौत जिंदगी के करीब ले आई है
और जिंदगी में अब तू ही तू समाई है
अपना ही साया है ये रात का अँधेरा भी
अपना ही अक्स है ये चाँद का चेहरा भी
आज जहाँ भी रहूँ जमीं-आस्मा बदलती नहीं
शहर की रौनक से मेरी तबियत बहलती नहीं
घर-शहर-देश की सरहदें मैं नहीं जानता
मैं जानता हूँ बस तेरे दर्दे-मुहब्बत को
और आँसू के उन सच्चे कतरों को
जिसे मैंने तेरी प्यासी उदासी में देखा है
तेरे उजड़े हुए बाल और मरता सा बदन
मुझे याद है बस एक जोगन जो तेरे जैसी है
तन्हाइयों के गम आँखो से बहे जाते हैं
कुछ बात है दर्द में जो यूँ जीए जाते हैं
बहुत है तमन्ना कि एक मुस्कान चेहरे पे खिले
मगर तेरी उम्मीद में हम उदास हुए जाते हैं
सबको ऐतराज है दुनिया में मेरी फितरत पे
कि क्यूँ मैं तुमपे ये जाँनिसार करता हूँ
लोग कहते हैं कि सैकड़ों परियाँ हैं यहाँ
फिर जुदा होके क्यूँ तेरा इंतजार करता हूँ
दुनिया ये नहीं जानती कि जिनको दर्द होता है
वो जिस्म से नहीं, दिल से प्यार करते हैँ
और ऐसा दिल लाखों में किसी एक में रहता है
जिसमें दर्द होता है, वो सच्चा प्यार करते हैं
जी तो करता है मेरे सामने तुम बैठी रहो
अपनी इन दर्द भरी आँखों से मुझे देखती रहो
मैं खुद डूब जाऊँ तेरी इन निगाहों में
और तुम खामोशी से मुझमे खोयी रहो
ये उदासी तेरी सूरत पे बहुत सजती है
चाहता हूँ कि तुम यूँ ही जरा प्यासी रहो
तेरे नूर से मेरे दिल में शमा जलती रहे
और तुम सामने बैठी रहो, बस बैठी रहो
महसूस करेगा वो मेरे दर्द की जुबाँ
मेरी उदासियाँ भी सुनाएगी दास्ताँ
पतझड़ की बारिशों में वो भीग गया है
अब धूप के लिए जलाएगा आशियाँ
लाएगा रंग इश्क ये उसमें इस तरह
अपनी चिता के वास्ते खोजेगा लकड़ियाँ
अपने ही लहू से लिखेगा मेरा नाम
अपने ही खंजर से तराशेगा ऊंगलियाँ
इश्क में रोने से बेहतर तो आँसू को पी जाना है
दर्द को भरके इन आँखों में होठों से मुसकाना है
क्या जाने वो उनके खातिर कोई कितना रोता है
अपने आँसू के साये से उनको हमें बचाना है
उनको अपने दिल में बसाकर दर्द को जिंदा रखूँगा
मैं शैदाई और क्या चाहूँ, यही जीने का बहाना है
जितने जलवे देखे दुख के, सारे जलवे फीके हैं
उनसे जुदाई के दुख को बस अपने गले लगाना है
वो अंजुमन की आग में लिपटे हुए तारे
आँसू के चिरागों से सुलगते नज़ारे
आसमान की नज़र में अटके हुए सारे
ना जाने आज चाँद भी कहाँ खो गया
फलक का अँधेरा भी दरिया पे सो गया
रोता है हर शै कि आज क्या हो गया
शज़र के शाखों पे नशेमन की ख़ामोशी
फैली है पंछियों में ये कैसी उदासी
क्यूँ लग रही हर चीज़ आज जुदा सी
बजती है सन्नाटे में झिंगुरों की झनक
या टूट रही है तेरी चूड़ियों की खनक
आती है आहटों से जख्मों की झलक
ये रात कब बीतेगी मेरी जवानी की
कब ख़त्म होगी कड़ियाँ मेरी कहानी की
कब लाएगी तू खुशियाँ जिंदगानी की
रू-ब-रू आग के जब आईने बन गए
आस्मा के दिल में तब एक चाँद बन गए
शबनम तेरे सागर की एक बूँद ही तो है
वही बूँद मेरी आँखों की जुबां बन गए
ख्वाबों के तमाशों से हम उबर नहीं पाए
इस मेले में खोकर यूँ गुमनाम बन गए
मजारों पे कितने ही शम्मे जलाए हमने
यादों के शहर भी अब श्मशान बन गए
जिंदगी एक तरफ है मेरी तन्हाई में
और तू एक तरफ है दर्द की अंगड़ाई में
तोड़ न दे कहीं धड़कन को सीने की तड़प
थाम लेते हैं कलेजे को हम जुदाई में
संग रहता है मेरे पास अजनबी सा कोई
ढूँढता हूँ तुझे मैं अपनी ही परछाई में
आईना डालता है मुझपे जब अपनी नजर
चंद आँसू ही दिखे आँखों की गहराई में
Kanta Na Hota To Phool Ki Hifazat
Na Hoti,
Andhera Na Hota To
Roshni Ki Zarurat Na
Hoti,
Agar Mil Jati Khushi
Duniya Mein Asani Se,
To Dil
Ki Mulakat Kabhi Dard Se Na Hoti..!
VNT