Door hone ki talab hai toh shauk se jaa... paR eK baat Yaad rakhna mudkar dekhne ki aadat hume bhi nahi
नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते है, कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चहेरा हम जाम मै तलाश किया करते है"
ये इश्क़ भी बड़ी नामुराद चीज़ है__
उसी से होता है जो किसी और का होता है
हाँ ज़माना भी मुझे अब गैर कहता है,
मेरे शब्दों की मोहब्बत को वो शेर कहता है,
पता है न तुम्हे जब भी हम कुछ गुनगुनाते थे,
वो उन बीती यादो को ज़ख़्म का ढेर कहता है,
तमामें गुजरा वक़्त ऐसा के फिर वो लौट न पाया,
तेरे जाने की स्र्ख़सत को वो किस्मत का फेर कहता है,
खता क्या की थी जो हमने भी, एक ख्वाब देखा था,
मगर ये ख्वाब को भी वो काँटों का पेड़ कहता है,
बहुत ढूंढा तुझे मैंने ज़माने से यूँ छुप –छुपकर,
मेरे जज्बात को भी वो गले की टेर कहता है…
मेरे प्यार मे क्या कमी रह गई
मेरी तन्हा-सी क्यों जिन्दगी रह गई
बहुत मिन्नतें की तुम्हारे लिए
अधूरी मगर आरजू रह गई
बहुत आरजू थी तेरे प्यार की
मगर आँख में बस नमी रह गई
भुलाने की कोशिश बहुत हमने की
मगर याद दिल मे बसी रह गई
अब कभी भी न मिल पाउगा मै तुम्हें
तू जुदा थी जुदा है जुदा रह गई
जख़्म दिल के हरे हरे से रहते हैं
सभी अरमान भरे-भरे से रहते हैं
शराफ़त ही होता है जिन लोगों का ईमां
न जाने क्यों डरे-डरे से रहते हैं
बड़ा मुश्किल है सह पाना सच्चे इंसां को
ऐसे आदमी से लोग परे-परे रहते हैं
बस गये हैं इतने ग़म दिल में
इसलिये तो हम भरे-भरे से रहते हैं
मिल ना पाई कोई ऐसी बस्ती हमें
जहां पर बाशिंदे खरे-खरे से रहते हैं
शैतानियाँ दुहरानें को आ
मुझे मुझसे मिलानें को आ
साँसें बिन तेरे तन्हा हैं
फिर से मुझे गले लगानें को आ
हर-वक्त ज़िंदा मुझमें तू हैं
किसी बहानें ये समझानें को आ
सफर में ऐसे ही कैसे चलेगा
दो कदम तो साथ निभानें को आ
मुझमें तस्वीर तेरा तस्व्वुर हैं
मेरे इन ख्वाब को सजानें को आ
आ फिर से सब ये दुहरानें को आ
फिर से मुझे गले लगानें को आ
थक चुका हूँ बहोत मैं यूं
निगाहों से ही कुछ पिलानें को आ
क्यूं कैसी और क्या हैं तेरी मजबूरी
कब तक रहूँ यूहीं यही बतानें को आ
कुछ और करीब आनें को आ
मेरें सीनें में अब समानें को आ
शैतानियाँ दुहरानें को आ
मुझे मुझसे मिलानें को आ
आंसूं पीते हैं प्यास बुझाने के लिये,
आग हमने ही लगायी थी खुद को जलाने के लिये,
इस जनम में तो मुमकिन नहीं,
और जनम लगेंगे आपको भुलाने के लिये।
तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है;
एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती है;
पहले नही सोचा था अब सोचने लगे है हम;
जिंदगी के हर लम्हों में तेरी ज़रूरत सी लगती है!
मिलके बिछडऩा दस्तूर है जिंदगी का,
एक यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का,
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही सबसे बड़ा कसूर है जिंदगी का।
वफा के बदले बेवफाई ना दिया करो..
मेरी उमीद ठुकरा कर इन्कार ना किया करो..
तेरी महोब्त में हम सब कुछ खो बैठे..
जान चली जायेगी इम्तिहान ना लिया करो