Apne Har Lafz Me Kehar Rakhte
Hain Hum
Rahe Khamosh Firbi Asar Rakhte
Hain Hum..!
Pyar Me Pagal Bhi Ho Jaoge
To Chalega
Lekin Kisi Dhokebaz Ke Liye
Zndgi Barbaad Mat Karna..!
Tujhe Bhaao Diya Kyuki Tujhse
Mohabbat Ki Thi
Warna
Teri Aukat Mere Saaye Ke Saath
Chalne Ki Bhi Nahi Hai..!
इस उड़ान पर अब शर्मिंदा, मैं भी हूँ और तू भी है,
आसमान से गिरा परिंदा, मैें भी हूँ और तू भी है।
छूट गयी रास्ते में, जीने मरने की सारी कसमें,
अपने – अपने हाल में जिंदा, मैें भी हूँ और तू भी है।।
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा।
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा।।
ना लफ़्ज़ों का लहू निकलता है ना किताबें बोल पाती है,
मेरे दर्द के दो ही गवाह थे और दोनों ही बेजुबां निकले !!
शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी,
नाज़ से काम क्यों नहीं लेतीं..!
आप, वो, जी, मगर ये सब क्या है "यार",
तुम सीधे मेरा नाम क्यों नहीं लेतीं.......!!
जरूरतें भी जरूरी हैं, जीने के लिये लेकिन,
तुझसे जरूरी तो, जिदंगी भी नही..
Hum To Dushmano Se Bhi Wafa
Karte Hain,
Tujh Me To Firbi Meri Jaan Basi Hai..!
Nafrat Karte Karte Jab Thak Jao,
To Ek Mauka Mohabbat Ko Bhi Dena..!